Bahaki si hawaye
Charo aur bah jaye
Unki yaad aa jaye
Pyaar ka khumaar chad jaye..
Ansh Arya Tiwari
My personal blog for stories and poems
Friday 6 February 2015
Monday 22 October 2012
प्यार.... दूर फलक तक
प्रेमी- इक खामोसी है दूर कही,,,
और लब्ज है थम गये,,
आसमां तलक है जिसका बसेरा
कह कह के कुछ खो गये..
उसी राह पे जाना था पर
अब ठीठूर के रह गये
प्रेमिका- तुम न थे ....थी केवल तनहाईयां...
टटोलते राहो को,,,,सितारे भी थम गये
प्रेमी- और मै खाडा सब देखता रहा
बस यही भूल थी...
प्रेमिका- दूर तलक कि तुम इक बार तो पलटोगे
आओगे पास मेरे
थामोगे मेरा हाथ
पर बस यही भूल थी
प्रेमी-मै पलटा था
चाहता था पास तुम्हारे आना
हाथ भी थामना चाहता था
पर भूल वही हो गई,
बस अब इक लब्ज
आवाज दे दो कही से
मै भाग चला आऊंगा,,,
और लब्ज है थम गये,,
आसमां तलक है जिसका बसेरा
कह कह के कुछ खो गये..
उसी राह पे जाना था पर
अब ठीठूर के रह गये
प्रेमिका- तुम न थे ....थी केवल तनहाईयां...
टटोलते राहो को,,,,सितारे भी थम गये
प्रेमी- और मै खाडा सब देखता रहा
बस यही भूल थी...
प्रेमिका- दूर तलक कि तुम इक बार तो पलटोगे
आओगे पास मेरे
थामोगे मेरा हाथ
पर बस यही भूल थी
प्रेमी-मै पलटा था
चाहता था पास तुम्हारे आना
हाथ भी थामना चाहता था
पर भूल वही हो गई,
बस अब इक लब्ज
आवाज दे दो कही से
मै भाग चला आऊंगा,,,
पर......
न जवाब मिला ..!
प्रेमिका- मैने पढी थी चाहत तुम्हारी......
तुम्हारी अनकहि आंखो से.........
पर क्या करती मजबूर थी.....
तुम्हारे इन्तजार मे
ना आवाज आई..!!
प्रेमी- तुम्हारे शब्द सुनने को...
बस मजबूरीथी
आवाज भी दी थी मैने ....
प्रेमिका- पता भी था तुम भी इन्तजार कर रहे हो मेरा
पर ज्योत्सना हू....
दाग कि सार्थकता समझती हूं
नाम से जुडा जो है मेरे
तुम आओ और थाम लो हाथ मेरा.....
प्रेमी- क्य कहू बस ये खेल है
कभी कमल सा खिलता है
तो कभी जोयत्सना सा चमकता है
कितना मैने हाथ बढाया
पर हर बार खाली रहा
मेरा हाथ.....
प्रेमिका- मै साथ हू तुम्हारे.....आंखो से...
अनतर्मन तक...
कुछ न कुछ तो कमी होगी ही...
तभी तुम खाली हाथ ही लौट गये
प्रेमी- शायद दर्द तुम्हारा,
भूल गया था
अपने में, मै मग्न था
कभी ना समझी मजबूरी..
बस उसी बात कि सजा मिली
और खाली हाथ हम लौट आये...
प्रेमी- पर अब तुम सुन लो
बस माफ हमे कर दो
जितने दर्द दिये है
सब बापस कर दो
हमारा हाथ पकड लो
साथ चलेंगे दूर फलक तक.....
प्रेमिका- माफी न मांगो मुझसे....
क्यूकि मै तो कभी खाफा थी ही नही तुमसे.....
तब बात कुछ और थी,,,
रिश्ते कुछ और थे,,,,
नासमझ हो के हम लडा करते थे.....
पर अब तो हर बात अच्छी लगती है.....
हर खाफा प्यार होता है.....
मै हमेशा से हू तुम्हारी....
फिर भी आओ ये लो हाथ मेरा...थाम लो....
और ले चलो दूर फलक....
प्रेमी-आ गई लौट के मेरी खुशी,
अब मै हू तुम हो
और फलक तक संग संग चलेंगे,,..!!!!!!!!!!!!
न जवाब मिला ..!
प्रेमिका- मैने पढी थी चाहत तुम्हारी......
तुम्हारी अनकहि आंखो से.........
पर क्या करती मजबूर थी.....
तुम्हारे इन्तजार मे
ना आवाज आई..!!
प्रेमी- तुम्हारे शब्द सुनने को...
बस मजबूरीथी
आवाज भी दी थी मैने ....
प्रेमिका- पता भी था तुम भी इन्तजार कर रहे हो मेरा
पर ज्योत्सना हू....
दाग कि सार्थकता समझती हूं
नाम से जुडा जो है मेरे
तुम आओ और थाम लो हाथ मेरा.....
प्रेमी- क्य कहू बस ये खेल है
कभी कमल सा खिलता है
तो कभी जोयत्सना सा चमकता है
कितना मैने हाथ बढाया
पर हर बार खाली रहा
मेरा हाथ.....
प्रेमिका- मै साथ हू तुम्हारे.....आंखो से...
अनतर्मन तक...
कुछ न कुछ तो कमी होगी ही...
तभी तुम खाली हाथ ही लौट गये
प्रेमी- शायद दर्द तुम्हारा,
भूल गया था
अपने में, मै मग्न था
कभी ना समझी मजबूरी..
बस उसी बात कि सजा मिली
और खाली हाथ हम लौट आये...
प्रेमी- पर अब तुम सुन लो
बस माफ हमे कर दो
जितने दर्द दिये है
सब बापस कर दो
हमारा हाथ पकड लो
साथ चलेंगे दूर फलक तक.....
प्रेमिका- माफी न मांगो मुझसे....
क्यूकि मै तो कभी खाफा थी ही नही तुमसे.....
तब बात कुछ और थी,,,
रिश्ते कुछ और थे,,,,
नासमझ हो के हम लडा करते थे.....
पर अब तो हर बात अच्छी लगती है.....
हर खाफा प्यार होता है.....
मै हमेशा से हू तुम्हारी....
फिर भी आओ ये लो हाथ मेरा...थाम लो....
और ले चलो दूर फलक....
प्रेमी-आ गई लौट के मेरी खुशी,
अब मै हू तुम हो
और फलक तक संग संग चलेंगे,,..!!!!!!!!!!!!
अंश आर्य तिवारी 'कमल'
Friday 19 October 2012
Thursday 4 October 2012
Saturday 7 July 2012
शिकायत...
‘’<.SiKYaT.>’’
suhanii
ghatYen,
ghiir ghiir k aYen.
Kisko sataYen,
Kya kuch batYen..
Unki adaYen,
Bahut Yaad aaYen.
Dil me basaYen,
Bahe failaYen…
Palke bichaYen,
Wo na aYen….
Humko sataYen,
Kahe bhulaYen…
Kya sunaYen,
Kya dikhlaYen…
Kyu rulayen,
Kya paas
jaYen…
Unhe
dikhaYen,
Apni sadaYen…
Bahti
hawaYen,
Pagal banaYen…
Badal hatYen,
brsatYen jaYen….
trsatYen jaYen,
prem wo LaYen…
chahat k saYen,
humko phasaYen..
bahut tadpaYen,
komal YadYen gaYen..
kamal chahat
paYen……………
कमल तिवारी
Saturday 30 June 2012
माँ....
माँ तू मेरे बारे में कितना सोचती है,
मै नहीं सोच पाता
तेरे लिए मै कुछ नहीं कर पाता
पर यदि काम कभी न आया
तो फिर मेरा जीवन किसी काम का नहीं
मेरा बाहर रह के पढ़ के
पैसा पाना सून्य है
मै नहीं सोच पाता
तेरे लिए मै कुछ नहीं कर पाता
पर यदि काम कभी न आया
तो फिर मेरा जीवन किसी काम का नहीं
मेरा बाहर रह के पढ़ के
पैसा पाना सून्य है
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